प्रतिलिपि के साथ:
स्थान: Delhi
सारांश:
कहानियाँ लिखना शौक है। फुर्सत के पलों में शब्दों को जोडता और मिलाता हूं। प्रकाशित रचनायें: हिन्दुस्तान टाईम्स, नवभारत टाईम्स, मेल टुडे और इकॉनमिक्स टाईम्स में सामयिक विषयों पर पत्र कहानियाँ: सरिता, गृहशोभा, प्रतिलिपी, जयविजय, सेतु, अनहद कृति, ईकल्पना, अरगला, अभिव्यक्ति, हिन्दी नेस्ट, स्वर्ग विभा और नवभारत टाईम्स में प्रकाशित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की वेबसाईट hindisamay.com में कहानी संकलन। राजकमल प्रकाशन की डॉ. राजकुमार सम्पादिक पुस्तक "कहानियां रिश्तों की - दादा-दादी नाना-नानी" में कहानी "बडी दादी" प्रकाशित। बोलती कहानी “बडी दादी” स्वर “अर्चना चावजी” रेडियो प्लेबैक इंडिया पर उपलब्ध। कहानी “ब्लू टरबन” का तेलुगु अनुवाद। अनुवादक: सोम शंकर कोल्लूरि। कहानी “अखबार वाला” का उर्दू अनुवाद। अनुवादक: सबीर रजा रहबर (पटना से प्रकाशित उर्दू समाचार पत्र इनकलाब के संपादक) बिहार उर्दू अकादमी के लिए। सहोदरी लघुकथा में दो लघुकथाएं “अहंकार और मोबाइल लत” (भाषा सहोदरी हिंदी द्वारा प्रकाशित) सम्मान एवं पुरस्कार: दिल्ली प्रेस की कहानी 2006 प्रतियोगिता में 'लाईसेंस'कहानी को द्वितीय पुरस्कार अभिव्यक्ति कथा महोत्सव - 2008 में 'शिक्षा' कहानी पुरस्कृत विश्व पुस्तक मेला 2017 दिल्ली में 13 जनवरी 2017 को प्रमुख लेखिका ममता कालिया के हाथों प्रतिलिपि सम्मान 2016 लोकप्रिय लेखक के लिए प्राप्त हुआ काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान 2017 जय विजय रचनाकर सम्मान 2017 (कहानी विधा) भाषा सहोदरी हिंदी प्रशस्ति पत्र (जनवरी 2018)