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प्रतिलिपि
चरित्रहीन मर्द या औरत
मिनाक्षी मिश्रा -एहसासनामा
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सारांश
"माँ मैं खेलने जाऊँ ? "उस महीन जालीदार टाट के एक कोने से झांकते हुए उसने पूछा ।" नही सुनयना" दो टूक जवाब देकर वो फिर से मसरूफ़ हो गयी अपनी होठों की रंगत को चटक करने में ।आँखों में आज भी सुरमा सजाया था
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Prati
Very nice ...story... Keep it up.. All the best 😘👍👍👍👍👍👍👍👍
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Yogendra Singh
Nice
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Ad Shashikant Agnihotri
Superb
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Dhairya jain Jain
Bhut acha
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Sandeep Mishra
बढ़िया
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Kailash Kumar Meena
nice
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Farhan Mo
बहुत सुंदर
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Manju bishnoi
so nice story dil me utar gai
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Tarak Jha
जबरदस्त
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hirdendrasingh
शब्द दर शब्द भावुकता से परिपूर्ण है वाचक को बाध कर रखते है
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