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प्रतिलिपि
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी
सुभद्रा कुमारी चौहान
(104)
पाठक संख्या − 2612
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सारांश
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थीबूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थीगुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थीदूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थीचमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी
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Ranjan Mukherjee
बच पन मे ये महान रचना पढी थी।
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Amit Saini
इंकलाब जिन्दाबाद
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Mohit Tiwari
🙏🙏🙏
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Soni Tushar
khoob ladi mardani vo jhansi vaali rani
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RAHISH DANGI
अद्भुत
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Neha Noopur
school ke bad , Jane kitne sal beet gaye, par padhte padhte aaj v romte khade hogaye.
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Ravindra Narayan Pahalwan
पसंद...
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Bimal Chandra Pathak
वाह मर्दानी आपको नमन
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aradhana
bachpan me padi Kavita aaj phir se padi
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गोविंद विश्वकर्मा
ati sundar
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