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प्रतिलिपि
कुंडली
गोविन्द उपाध्याय
(64)
पाठक संख्या − 5282
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सारांश
कमरे में मुझे लेकर पांच लोग थे । उन चारों में एक महिला थी । दूसरा उसका पति था । दोनों मेरी तरह अधेड़ थे । शेष दो नौवजवान थे । एक महिला का पुत्र था और दूसरा देवर था । बारह बाई बारह का कमरा था । नीचे ...
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Geeta Gupta
मर्मस्पर्शी रचना
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Archana Varshney
अच्छी
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ajay
अच्छी सीख कहूँगा।बेटियों के पिताओं को बेचारा होने और दब्बूपन छोड़ने की सलाह देती कहानी।
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Jyoti Patidar
achchhi kahani . bas Bharatiya samaj beti Ko bojh samjhana band kar de to bahut sari pareshaniya khatm ho jaye
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rani
नि:शब्द
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Deepak Dixit
क्या बात है
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Rita Pandey
bahut acchi .akdm sahi
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रमेश मेहंदीरत्ता
sunder hae
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Reema Bhadauria
Very nice 😊😊
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मनोज वेदप्रकाश पांडेय "जय गोंडवाना"
sahi likha aapne
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