कुत्ता जन्म
एक कुत्ते ने महसूस किया कि अब उसकी मृत्यु करीब है। उसे अपने पूर्व जन्मों की स्मृतियाँ हो आई कि कभी वह एक बैक्टीरिया था ।कभी तालाब की काई की फफूंद और उसके बाद एक कीड़ा , एक वनस्पति , एक चूहा ....और उसके बाद अच्छे कर्म की वजह से अब वह कुत्ते से मनुष्ययोनि में जानेवाला है।
वह कुत्ता उदास है । वह मनुष्य नहीं बनना चाहता । मगर बिना मनुष्य -जन्म पार किए उसे सदगति भी मिलने वाली नहीं है। जन्म- मरण से छुटकारा भी नहीं है। किंतु एक कुत्ते का जीवन जीते हुए वह मनुष्य के अधिक समीप रहा है। उसने देखा है ...जैसे मनुष्य धन के लिए झगड़ते है वैसे तो हम कुत्ते भी रोटी के लिए नहीं लड़ते । जैसे मनुष्य स्वजनों की पीठ पर विश्वासघात का कटार घोंपता है वैसे तो एक लोमड़ी भी अपने संबंधियों के साथ नहीं करता । जितना धूर्त एक मनुष्य होता है उतना तो कौआ भी नहीं होता । जितनी विषैली मानव की जिव्हा है, उतना तो सर्प का दंश भी नहीं।
वह एक मंदिर के पास ईश्वर से प्रार्थना करने लगा , " हे जगत नियंता , मुझपर कृपा करो।" तभी कहीं से किसी ने उस पर भारी डंडे से प्रहार किया।
"ये कुत्ता मंदिर के फाटक पर क्या कर रहा है, भागाओ इसे " निरीह कुत्ता भयंकर पीड़ा से कराह उठा और ईश्वर से कहने लगा, निरीह कुत्ता भयंकर पीड़ा से कराह उठा और ईश्वर से कहने लगा, कोई दोबारा उसे मरने को दौड़ा . वह दूसरी तरफ दौड़ पड़ा.
निरीह कुत्ता भयंकर पीड़ा से कराह उठा और ईश्वर से कहने लगा,
वह कुत्ता रोते हुए कहने लगा , " देखा भगवान, तेरा मनुष्य मुझे प्रार्थना करने भी नहीं देता।"