साथ जो तुम मेरे होते. .
उजड़े गुलशन मे
बहार आती. .
तपती दोपहरी में
ठंडी बयार आती. .
यूँ ही नहीं कुछ
लिखती मैं एक प्रेम
कविता बाहर आती. ..
साथ जो तुम मेरे होते. .
देखे बहुत सपने
साथ हमने ,काश. .....
हकीकत में बदल पाती
लेते तुम आलिंगन में
मैं बाहर आ जाती. ...
साथ जो तुम मेरे होते. .
वर्षो से किसी से
रूठी नहीं मैं
तुम मानते ,मैं रूठती. .
तुम मुस्कुरा कर रह जाते
और मैं खिलखिलाती ....
साथ जो तुम मेरे होते. .